Portfolio Meaning In Hindi | शेयर बाजार में पोर्टफोलियो क्या है?

Portfolio meaning in hindi: ईटीएफ, स्टॉक्स, बांड्स, कमोडिटीज और गोल्ड जैसे वित्तीय साधनों के संग्रह को पोर्टफोलियो कहा जाता है। शेयर बाजार में पोर्टफोलियो लम्बे समय के निवेश के लिए और रिस्क को मैनेज करने के लिए बनाया जाता है। इस लेख में आपको पोर्टफोलियो से जुड़ी पूरी जानकारी हिंदी में मिलेगी। नए लोग जब शेयर बाजार में आते हैं तो उन्हें पोर्टफोलियो के बारे में जानकारी नहीं होती। इस लेख को पढ़ने के बाद आप खुद का पोर्टफोलियो बनाना सीख जायेंगे।

Portfolio Meaning In Hindi | शेयर बाजार में पोर्टफोलियो क्या है?

Portfolio Meaning In Hindi | शेयर बाजार में पोर्टफोलियो क्या है?

जैसा कि हमने आपको बताया कि पोर्टफोलियो का मतलब है कई तरह के वित्तीय साधनों में निवेश करना। पोर्टफोलियो को बनाने के मकसद अलग-अलग हो सकते हैं। ये जरूरी नहीं है कि सबका पोर्टफोलियो एक जैसा ही होगा। कोई पोर्टफोलियो लम्बे समय के निवेश के लिए अपने बच्चों के फ्यूचर के लिए बनाता है और कोई इनकम के लिए पोर्टफोलियो बनाता है।

मान लीजिये आपके पास 5 लाख रूपए है और आप इन्हे निवेश करना चाहते हैं। इन पांच लाख रुपयों को आप एक जगह निवेश करने की बजाय अलग-अलग जगह जैसे कुछ हिस्सा स्टॉक में, बांड में, इंडेक्स फंड में और गोल्ड जैसे साधनों में निवेश करके अपना पोर्टफोलियो बना सकते हैं।

स्टॉक मार्केट पोर्टफोलियो में क्या-क्या आता है?

स्टॉक में निवेश: पोर्टफोलियो में स्टॉक का होना बहुत जरूरी है। पोर्टफोलियो में स्टॉक होने से रिटर्न बढ़ता है। स्टॉक यदि अच्छा है तो उसके बढ़ने की कोई सीमा नहीं है वह पैसे को कई गुना भी करने में सक्षम होता है। MRF, EICHERMOTOR जैसे स्टॉक ने निवेशकों को बहुत कुछ दिया है। जिन स्टॉक के फंडामेंटल अच्छे हैं उन्हें पोर्टफोलियो में रखना बहुत फायदेमंद है। एक अच्छा स्टॉक कैसे चुनते हैं उसके लिए आप fundamental analysis वाला लेख पढ़ सकते हैं।

ईटीएफ में निवेश : इसकी मदद से आप अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस कर सकते हैं। पोर्टफोलियो में ईटीएफ होने से आपको स्टेबल रिटर्न मिलेगा। लम्बे समय के निवेश के लिए आप ईटीएफ को अपने पोर्टफोलियो में रख सकते हैं। स्टॉक जीरो हो सकते हैं लेकिन इंडेक्स कभी जीरो नहीं होंगे। इसलिए स्टेबिलिटी के लिए ईटीएफ में निवेश लाभदायक है।

गोल्ड निवेश: जैसा कि आप जानते हैं गोल्ड की डिमांड अधिक है और सप्लाई कम है। ऐसे में गोल्ड लम्बे समय में अच्छा रिटर्न देने में सक्षम है। समय के साथ-साथ गोल्ड के भाव में बढ़ोतरी ही हुई है। इसलिए पोर्टफोलियो में गोल्ड को रखा जाता है। ज्यादातर निवेशक गोल्ड में निवेश करना काफी पसंद करते हैं।

बांड में निवेश: सरकारी बांड में निवेश करना भी पोर्टफोलियो का हिस्सा है। सरकार की तरफ से जो बांड्स निकलते हैं उनमें निवेश किया जा सकता है। हालाँकि बांड्स में सभी निवेश करना पसंद नहीं करते। यह आपके ऊपर निर्भर है कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं। बांड्स में निवेश आप अपने ब्रोकर के माध्यम से कर सकते हैं।

डिविडेंड स्टॉक में निवेश: यदि आप अच्छी कंपनी के स्टॉक में निवेश करते हैं तो वो आपको quarterly नतीजे आने पर डिविडेंड देती है। अपने मुनाफे में से कंपनी अपने शेयर होल्डर्स को भी मुनाफा देती है। रेगुलर इनकम पाने के लिए निवेशक ऐसे स्टॉक को अपने पोर्टफोलियो में रखते हैं जो डिविडेंड और ग्रोथ दोनों देते हैं। ऐसे स्टॉक पोर्टफोलियो के जोखिम को कम करते हैं।

म्यूच्यूअल फंड और SIP में निवेश: यदि आपको स्टॉक मार्केट का ज्ञान नहीं है और आप मार्केट को समय भी नहीं दे सकते तो आपके लिए म्यूच्यूअल फंड और SIP में निवेश करना फायदेमंद होगा। यह एक ऐसा वित्तीय साधन है जो लॉन्ग टर्म में आपको अच्छा फायदा देगा। आप अपनी इच्छा अनुसार SIP या फिर म्यूच्यूअल फंड में निवेश करके इसे भी पोर्टफोलियो का हिस्सा बना सकते हैं।

कमोडिटीज में निवेश: यदि आप रिस्क लेने में सक्षम हैं तो कमोडिटीज को भी पोर्टफोलियो में रखा जा सकता है। इसमें नेचुरल गैस, गोल्ड,सिल्वर और प्लैटिनम जैसे साधनों में निवेश किया जाता है। कमोडिटीज में रूचि सभी की नहीं होती लेकिन जो थोड़ा बहुत रिस्क लेना जानते हैं वे सभी वित्तीय साधनों में थोड़ा-थोड़ा निवेश जरूर करते हैं।

ये सभी साधन स्टॉक मार्केट पोर्टफोलियो में आते हैं। इनमे निवेश करके अपना खुद का पोर्टफोलियो बनाया जाता है और इसे अपने ब्रोकर के माध्यम से एक ही जगह पर देख सकते हैं। पोर्टफोलियो बनाने का मकसद ये होता है कि जब स्टॉक आपको रिटर्न नहीं देंगे तो हो सकता है आपको दूसरी जगह जैसे गोल्ड या बांड से मुनाफा मिलने लगे।

पोर्टफोलियो के अन्य विकल्प

फिक्स्ड डिपाजिट: जैसा कि आप जानते हैं फिक्स्ड डिपाजिट से आप सालाना तक़रीबन 7 प्रतिशत का रिटर्न हासिल कर सकते हैं। फिक्स्ड डिपाजिट यदि सरकारी बैंक में हो तो आपका रिस्क भी कम होता है। जो लोग इनकम करना चाहते हैं वे फिक्स्ड डिपाजिट जरूर करते हैं। फिक्स्ड डिपाजिट आपको सालाना या मंथली जो भी ऑप्शन बैंक आपको देगा उसके जरिये इनकम बना सकते हैं। यह आपके रिस्क को भी मैनेज करेगी।

प्रॉपर्टी में निवेश: लम्बे समय में प्रॉपर्टी यानि रियल एस्टेट में किया गया निवेश फायदेमंद होता है। पोर्टफोलियो का मतलब ही यही होता है कि आप कई वित्तीय साधनों में निवेश करके मुनाफा बना सकते हैं। अपनी इच्छा अनुसार लोग रियल एस्टेट में निवेश करते हैं और लम्बे समय में फायदा लेते हैं।

फिक्स्ड डिपाजिट और रियल एस्टेट में निवेश स्टॉक मार्केट से अलग किया जाता है। यह विकल्प उन निवेशकों के लिए है जो बड़ा पोर्टफोलियो बनाने में सक्षम हैं। आप जितने ज्यादा वित्तीय साधनों में निवेश करेंगे आपका रिस्क कम होता जायेगा जब रियल एस्टेट में तेजी आएगी तो रियल एस्टेट में किया निवेश बढ़ेगा और जब स्टॉक में तेजी आएगी तो स्टॉक्स आपको मुनाफा देंगे। यानि बड़ा पोर्टफोलियो आपको कुछ ना कुछ देता रहेगा। इतना तो आप भी जानते हैं कि हर वित्तीय साधन के बढ़ने का अलग-अलग समय होता है।

पोर्टफोलियो के प्रकार | Types of Portfolio

इनकम/आय पोर्टफोलियो

यदि आप अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं तो आपके पोर्टफोलियो में डिविडेंड देने वाले स्टॉक, फिक्स्ड डिपाजिट, स्टॉक या बांड होने चाहिए। रेगुलर इनकम पाने के लिए इन वित्तीय साधनों का पोर्टफोलियो में होना जरूरी है। इसमें जोखिम ज्यादा नहीं होता है।

Risky पोर्टफोलियो

इस तरह के पोर्टफोलियो में कुछ ऐसे वित्तीय साधनों को रखा जाता है जिनमे रिस्क ज्यादा होता है। रिस्की पोर्टफोलियो में वही पैसा निवेश किया जाता है जिसके चले जाने से आपको ज्यादा फर्क ना पड़े। रिस्की पोर्टफोलियो में ऐसे साधनों में निवेश किया जाता है जो व्यवसाय तेजी से बढ़ रहे होते हैं। इनमें रिस्की स्टॉक या म्यूच्यूअल फंड शामिल हो सकते हैं। जहाँ अधिक जोखिम होता है वहां यदि ग्रोथ होने लगे तो निवेश को कई गुना भी कर देते हैं।

अपना पोर्टफोलियो कैसे बनायें?

अपने रिस्क और मकसद को पहचानें

यदि आप अपना खुद का पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि आपका पोर्टफोलियो बनाने का मकसद क्या है। जहाँ पैसा निवेश होता है वहां जोखिम तो होता ही है। यदि आप कम जोखिम उठाने वाले निवेशक हैं तो आपके लिए फिक्स्ड डिपाजिट, ETF, डिविडेंड स्टॉक, म्यूच्यूअल फंड और बांड्स अच्छा विकल्प है।

उदाहरण के लिए यदि आपके पास दस लाख रूपए हैं तो आप बराबर हिस्सा इन सभी विकल्पों को दे सकते हैं। जो आपको सबसे सेफ लगता है उसमें ज्यादा प्रतिशत आप दे सकते हैं और जिसमें आपको जोखिम लगता है उसे कम प्रतिशत दे सकते हैं।

पोर्टफोलियो Diversification है जरूरी

यदि आप स्टॉक मार्केट का पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो आप अपने पोर्टफोलियो को Diversify जरूर करें। यदि आप अलग-अलग सेक्टर के स्टॉक में निवेश करेंगे तो आपका पोर्टफोलियो पूरा प्रभावित नहीं होगा। यदि किसी सेक्टर में मंदी चल रही होगी तो दूसरा सेक्टर अगर तेज है तो आपका पोर्टफोलियो बैलेंस रहेगा। एक ही सेक्टर के स्टॉक में अपना पूरा पैसा ना लगाएं।

नियमित निवेश है जरूरी

समय के साथ यदि आपकी आय बढ़ रही है तो आपको अपने निवेश को भी बढ़ाना होगा। ऐसा करने से आपको लम्बे समय में अधिक रिटर्न हासिल होगा। एक सफल निवेश वही होता है जिसमें निवेश की राशि को समय के साथ बढ़ाया भी जाए।

निवेश खर्च कम करें

यदि आप एक सफल पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो आपको लम्बे समय के लिए सोचना बहुत जरूरी है। पोर्टफोलियो कभी कम समय के लिए नहीं बनाना चाहिए। मार्केट के उतार चढाव से आपको नहीं डरना चाहिए। आप शेयर खरीदने बेचने के लिए डिस्काउंट ब्रोकर का इस्तेमाल करके अपने निवेश के खर्च को कम कर सकते हैं।

यदि आप बार-बार शेयर को खरीदेंगे या बेचेंगे तो आपका निवेश शुल्क यानि ब्रोकरेज बढ़ जाएगी। अक्सर लोग पैनिक में आकर अपने स्टॉक को बेच देते हैं और अपने पोर्टफोलियो को ख़राब कर लेते हैं।

निष्कर्ष:

इस लेख का निष्कर्ष यही है कि अलग-अलग वित्तीय साधनों में निवेश करके आप अपना पोर्टफोलियो बना सकते हैं। एक ही जगह पूरा पैसा निवेश करने से अच्छा है उसे कई अलग-अलग साधनों में निवेश किया जाये। आपको ये समझना होगा कि जहाँ पैसा निवेश होता है वहां जोखिम भी होता है। लेकिन जोखिम को कम करने के लिए एक ऐसा पोर्टफोलियो बनाया जा सकता है जो आपको अच्छा रिटर्न भी देता रहे और आपका पूरा पैसा भी रिस्क में ना जाए। कई बार ऐसा भी हो सकता है कि जो स्टॉक आपने ख़रीदे हैं उनमें अच्छी तेजी आती है तो वो आपके पैसे को कई गुना भी कर देते हैं।

FAQ:

पोर्टफोलियो क्या होता है?

वितीय साधन जैसे स्टॉक,बांड, ईटीएफ और गोल्ड के संग्रह को पोर्टफोलियो कहते हैं।

पोर्टफोलियो बनाने का उद्देश्य क्या है?

पोर्टफोलियो बनाने का असली उद्देश्य अपने लक्ष्यों की प्राप्ति और आर्थिक रूप से मजबूत होना है।

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